भक्ति की राह पर चलकर सांसारिक बंधनों से मुक्ति संभव : गुप्ति सागर
उपाध्याय 108 गुप्ति सागर महाराज गुप्तिधाम में प्रवचन के उपरांत आशीर्वाद लेते श्रद्धालु।
गन्नौर। उपाध्याय 108 गुप्ति सागर महाराज ने कहा कि भक्ति में त्याग कर्म-फल का करना है कर्तव्य का नहीं। उन्होंने कहा कि भक्ति की राह पर चलकर ही सांसारिक बंधनों से मुक्ति संभव है,अन्यथा इंसान जिंदगीभर कोल्हू के बैल की तरह व्यर्थ के कार्यों में जुटा रहता है। मुनिराज शुक्रवार को गुप्तिधाम में आयोजित कार्यक्रम में श्रावकों को भक्ति की महत्ता के बारे में बतला रहे थे। उन्होंने कहा कि अरहंत सिद्ध, साधुओं में भक्ति व्यवहार चरित्र का आचरण और आचार्यदिक महंत पुरूषों के चरण में रसिक होना इसका नाम है प्रशस्त राग। उन्होंने श्रावकों का आह्वान किया कि वे अपने रोजमर्रा के जीवन व कामकाज से अपने इष्ट की भक्ति के लिए अवश्य समय निकाले। इससे न केवल आपका वर्तमान सुधरेगा बल्कि भविष्य भी अच्छा होगा। उपाध्याय गुप्ति सागर ने कहा कि भक्ति अकेली होती हुई भी कुगति मे पतन का निवारण करती है। मुनि महाराज ने बताया कि 28 अगस्त को गुप्तिधाम में विशाल धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश के अन्य प्रान्तों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेंगे। इस मौके पर ब्रहमचारिणी रंजना दीदी, अखिल भारतीय दिगंबर समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी एसके जैन, प्रदीप शोभती आदि श्रावक मौजूद थे।