भगवान की सत्ता को चुनौती देने वाला दुनिया का सबसे दुर्भागी : जीयर स्वामी
– बोले, गृहस्थ जीवन में रहकर परमात्मा से जीवन जोड़ने पर भटकाव नहीं रहता
बलिया, 10 अगस्त। श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने गंगा किनारे चल रहे अपने चातुर्मास व्रत के दौरान बुधवार को कहा कि सबसे बड़ा दुर्भागी व्यक्ति वह है जो दुनिया की हर सत्ता को मानता है, लेकिन परमात्मा के सत्ता को चुनौती देता है।
उन्होंने कहा कि दुर्भागी व्यक्ति सब कुछ मानता है। भोजन मानता है, धन, संपत्ति, पद, प्रतिष्ठा सब कुछ मानेगा। परंतु भगवान की सत्ता को जो चुनौती देता है वह दुनिया का सबसे बड़ा दुर्भागी व्यक्ति है। हमारे किए हुए कर्मों का फल है सुख तथा दुःख। ऐसा जानकर अपने आप में उस ईश्वर की स्थिति को स्थापित करें। मोक्ष की कामना करें।
जो जिस दिन से बना उसी दिन से बिगड़ना शुरू
नियमाण मनुष्य का धर्म क्या है? संसार मरणशील है, नश्वर है, सबका एक न एक दिन क्षय विनाश मरना एक न एक दिन लगा ही हुआ है। जो जिस दिन से बना उसी दिन से उसका बिगड़ना शुरू हो गया। मान लीजिए कि आप मकान बना लिए, मकान में ईंट, सिमेन्ट, बालु लग गया, सिमेन्ट की आयु सौ वर्ष है परंतु जिस दिन से लग गया, उसकी आयु कम होने लगती है। कोई भी चीज हो।
पांच प्रकार के होते हैं प्रलय
जीयर स्वामी ने कहा कि प्रलय पांच प्रकार के होते हैं। पहला नित प्रलय है। इसका मतलब रोज दुनिया में जो परिवर्तन होता है। अभी जो है एक दिन बाद नहीं रहेगा। एक घंटा पहले जो था अभी नहीं है। एक नैमित्तिक प्रलय होता है। इसका मतलब किसी के निमित्त जो प्रलय होता है। जैसे कहते हैं कि आपके चलते मेरा खेत बर्बाद हो गया। भैंसा ने खेत बर्बाद कर दिया। खेत की बर्बादी में भैंसा का हाथ है। अर्थात जब ब्रह्मा जी शयन करते हैं तो नैमित्तिक प्रलय होता है।
तीसरा आत्यांतिक प्रलय होता है। इसमें प्रकृति हर क्षण, हर स्थिति को अपने अनुसार नियंत्रित करती है। जैसे भूकंप, सुनामी इत्यादि। चौथे प्रलय में प्रकृति की स्थितियां अस्त-व्यस्त हो जाती हैं। पहाड़ों की सत्ता नहीं रह पाती है। जल की सत्ता नहीं रह पाती है। पांचवा होता है महाप्रलय। इस महाप्रलय में भगवान नारायण को छोड़कर कोई भी बचता नहीं है।