राष्ट्रीय

पुणे: देश में पहली बार महाराष्ट्र सरकार की अनूठी पहल

पुणे, 13 जनवरी। यरवदा जेल में सजा काट रहे हार्डकोर बंदी भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवा सकें, परिवार आर्थिक कठिनाइयों से ना जूझे, इसके लिए राज्य सरकार ने हाल ही में बंदियों में 50 हजार रुपए तक की ऋण योजना शुरू की है। इसके तहत अब तक 146 बंदियों ने 50-50 हजार रुपए की राशि का ऋण महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से बिना गारंटी से लेकर अपने परिजनों को सौंपा है।

जेल में बंद किसी सजायाफ्ता को कोई बैंक लोन नहीं देता है। लेकिन देश में पहली बार यह अनूठी पहल महाराष्ट्र सरकार ने शुरू की है। सरकार का मानना है कि जेल में रहने की वजह से इन कैदियों के परिवार वालों को काफी मुश्किलों का सामना करना होता है और उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं होती है। विशेषकर उन परिवारों की जब बंदी ही अपने परिवार में अकेला कमाने वाला होता है। ऐसे में सरकार ने आर्थिक तंगी से मुकाबला करने वाले ऐसे कैदियों को बिना गारंटी पर्सनल लोन देना प्रारंभ किया है।

अब तक 1055 में से 146 बंदियों को दिया गया है ऋण

सरकार ने इस जेल को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुनते हुए इस फैसले को लागू किया है और 1 हजार 55 बंदियों को महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से 7 प्रतिशत के ब्याज पर लोन दिया जाना तय किया था। जिसे अब व्यावहारिक रूप दिया जा रहा है। अब तक 146 बंदियों में 50-50 हजार रुपये की राशि के रूप में 73 लाख की राशि का वितरण कर दिया है और यह प्रक्रिया जारी है। बैंक ने बंदियों की कमाई, कौशल, दैनिक मजदूरी के आधार पर राशि तय कर लोन देना शुरू किया है। खासकर बंदी लोन से मिलने वाली इस राशि का उपयोग वकीलों की फीस एवं परिजनों की मदद के लिए कर रहे हैं।

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