धर्म दिखावे की नही धारण करने की जरूरत है –गुप्ति सागर
गन्नौर। धर्म दिखावे कि नही धारण करने की जरूरत है जिसने धर्म को शरण लिया उसने अपने जीवन का उद्धार कर लिया। जब मनुष्य के दिल में धर्म आ जाए दया आ जाए तो दरिद्रता अपने आप ही दूर होती चली जाती है। न क्रोध रहता है ना ही किसी से ईर्ष्या रहती है, यह बातें गुप्तिधाम में आयोजित धर्म सभा में गुप्ति सागर मुनि महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि नैतिकता धर्म की बुनियाद है। धार्मिक होने के लिए लिए नैतिक होना पहली शर्त है। अधर्म और अनीति सदैव साथ चलते हैं। धर्म तो नैतिकता के बिना कभी प्रगति नहीं करता। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि लोग रात-दिन धर्म-उपासना के लिए भागदौड़ करते हैं, लेकिन नैतिक बनने या नैतिक रहने की भी चिंता नहीं करते। नैतिकता के बिना जीवन की सुचिता संभव नहीं है। फिर धर्म मनुष्य के लिए कैसे कल्याणकारी बन सकता है। अर्थ सिर्फ क्रिया कांड या अनुष्ठान विधियां करते रहना ही नहीं है, बल्कि धर्म की साधना का स्पष्ट तात्पर्य है। अगर धर्म स्थानों में जाकर भी हम अच्छे इंसान बनकर नहीं लौटते हैं तो मानो सब बेकार हैं।