राष्ट्रीय

सीसीपीए को सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ सिंगल बेंच जाने का आदेश

याचिका को दस दिन के बाद सिंगल बेंच के समक्ष लिस्ट करने के लिए कोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश

नई दिल्ली, 18 अगस्त । दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) को निर्देश दिया कि वो होटलों और रेस्टोरेंट को खाने का सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ सिंगल बेंच जाएं और आदेश वापस लेने की मांग करें। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि सीसीपीए की याचिका को दस दिन के बाद सिंगल बेंच के समक्ष लिस्ट करें।

सुनवाई के दौरान सीसीपीए की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि सिंगल बेंच ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया है। सिंगल बेंच के आदेश के बाद सीसीपीए के पास रेस्टोरेंट मालिकों के खिलाफ उपभोक्ताओं की शिकायतें आ रही हैं। सीसीपीए की याचिका पर सुनवाई करते हुए 16 अगस्त को डिवीजन बेंच ने रेस्टोरेंट मालिकों से पूछा था कि वे अपने खाने का रेट बढ़ा सकते हैं, अलग से सर्विस चार्ज क्यों ले रहे हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सर्विस चार्ज के बारे में लोग समझते हैं कि ये सरकार की ओर से वसूला जाने चार्ज है। इस पर रेस्टोरेंट मालिकों की ओर से कहा गया था कि ऐसा कोई नहीं समझता कि ये सरकार की ओर से वसूला जाने वाला चार्ज है।

याचिका में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें सिंगल बेंच ने 20 जुलाई को सीसीपीए के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें होटलों और रेस्टोरेंट को खाने का सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगाई गई थी। जस्टिस यशवंत वर्मा की सिंगल बेंच ने ये आदेश जारी किया था। सिंगल बेंच के समक्ष याचिका द नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) ने दायर की थी।

एनआरएआई की याचिका में कहा गया था कि 4 जुलाई को सीसीपीए ने आदेश जारी कर होटलों और रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगा दी। याचिका में इस आदेश को निरस्त करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान एनआरएआई की ओर से कहा गया था कि तीन तरह के रेस्टोरेंट हैं, पहले वे जो सर्विस चार्ज नहीं वसूलते हैं। दूसरे वे जो बिना ग्राहक की सहमति के सर्विस चार्ज वसूलते हैं। तीसरे वे जो सर्विस चार्ज को मेन्यू में प्रदर्शित करते हैं। याचिका में कहा गया था कि सर्विस चार्ज स्टाफ के लिए होता है। उन्होंने कहा था कि हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में सर्विस चार्ज वसूलने की परंपरा पिछले 80 सालों से चली आ रही है।

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