शहर की सड़कों से सफेट पट्टी गायब, जिला प्रशासन द्वारा बरती जा रही लापरवाही
सोनीपत
धुंध का सीजन शुरू होने वाला है, लेकिन प्रशासन की तैयारियां अधुरी है। जिले में अधिकतर सड़कों से सफेद पट्टी गायब है। जिले में सड़कों पर कई डेंजर पॉइंट्स ऐसे है। जहां पर सांकेतिक बोर्ड या तीव्र मोड़ पर स्पीड ब्रेकर तक नहीं है। यही नहीं कई सड़कों पर सफेद पट्टी तक नहीं लगी हुई है या जो लगी है, वह धुंधली हो चुकी है। ऐसी हालात में धुंध के सीजन में सड़क हादसों में वृद्धि होगी। इसके अलावा शहर में स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी रहती है। यहां तक कि नेशनल हाईवे पर भी अंधेरा छाया रहता है। कटों पर भी कोई व्यवस्था नहीं। ऊपर से सड़कों में खतरनाक गड्ढे व मोड़ बने हुए है, लेकिन जिला प्रशासन गंभीर नहीं है। इनसे निपटने के लिए कोई तैयारी भी नहीं की जा रही।
बता दें कि हाल के दिनों में उत्तर भारत में ठडं का प्रकोप बना हुआ है। ठंड के साथ धुंध के बढ़ने का खतरा भी बना रहता है। धुंध के दिनों में सड़कों पर वाहन चलाने के लिए सफेट पट्टी व रिफलेक्टर साधन होते है। जिले की ज्यादातर सड़कों पर से सफेद पट्टी गायब है। कई सड़कों पर निर्माण कार्य चल रहे है। जिसके चलते सड़क मार्गो पर आधा-अधूरी सफेट पट्टी रह गई है। गांव बैंयापुर निवासी रणजीत, विजय आर्य, महाबीर,रमेश, राकेश, नरेंद्र, संदीप, विकास ने बताया कि सोनीपत-खरखौदा-रोहतक सड़क मार्ग पर रोहट तक सड़क मार्ग पर सफेट पट्टी का नामों निशान नहीं बचा है। इस सड़क मार्ग पर कई बार धुंध के दिनों में हादसे हो चुके है। सुबह बैंयाुपर सड़क मार्ग पर चार युवक ट्रक की चपेट में आ गए थे। जिनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से सड़क मार्गो पर पट्टी लगाने की मांग की है।
लकीर पीटती रहती है पुलिस-
पुलिस प्रशासन द्वारा धुंध के मौसम में यातायात नियमों की अवहेलना के कारण होने वाले सड़क हादसों को रोकने के लिए विभाग की तरफ से जागरूकता अभियान चलाया जाता है। लेकिन जिस समय यातायात पुलिस द्वारा यह अभियान चलाया जाता है, उस समय सर्दी का मौसम अंतिम चरण में होता है। ऐसे में यातायात पुलिस के जागरूकता अभियान का कोई लाभ नहीं मिल पाता है। इस प्रकार यातायात पुलिस सांप निकलने के बाद लकीर पीटने वाला काम करती है।
रात को निकलते है सड़कों पर भूसा ढोहने वाले वाहन-
भूसा ढोहने वाले ट्रैक्टर-ट्रालियों पर रिफ्लेक्टर नहीं लगे होते है, और न ही इन पर इंडीकेटर होता है। दिन के सयम इन ट्रैक्टर-ट्रालियों को सड़क पर निकलते वक्त काफी परेशानी होती है और यह जाम का कारण बनते है। इन समस्याओं से बचने के लिए चालक ज्यादातर रात को चलते हैं, जो हादसों का कारण बन सकते है। इसके अलावा रोडवेज की बसों पर भी बिना रिफ्लेक्टर चलती देखी जा सकती है। शहर में आटो, ट्रैक्टर-ट्राली, मैक्सी कैब, ट्रक आदि ऐसे सैकड़ों वाहन शहर की सड़कों पर देखे जा सकते है, जिन पर फोग लाइट, रिफ्लेक्टर आदि नहीं लगे हुए है और ये वाहन अपने हिसाब से तीव्र गति से सड़कों पर दौड़ रहे है।
रोहतक पीजीआई व खानपुर वाले सड़क मार्गो के हालत बेहद खराब-
सोनीपत नागरिक अस्पताल से गंभीर मरीजों व सड़क हादसों में घायल मरीजों को रोहतक पीजीआई व महिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल खानपुर रेफर किया जाता है। सोनीपत-खरखौदा सड़क मार्ग पर गांव बैंयापुर, रोहट तक सड़क मार्ग से सफेट पट्टी गायब हो चुकी है। वहीं सोनीपत-चिटाना-जुआं-खानपुर सड़क मार्ग पर कई जगहों से सड़क मार्ग गड्डों में तबदील हो चुका है। साथ-साथ सफेद पट्टी भी गायब हो चुकी है। आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस चालकों के साथ-साथ अन्य वाहन चालकों का परेशानी का सामना करने पर मजबूर होना पड़ता है।