हरियाणा के सीएम की मांग, एसवाईएल पर लागू हो सुप्रीम कोर्ट का फैसला
उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठाया मुद्दा
पंजाब के साथ साझा बैठक बुलाने का सुझाव
चंडीगढ़, 9 जुलाई । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एसवाईएल के पानी पर हरियाणा का अधिकार जताते हुए कहा है कि नहर नहीं बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है। हरियाणा को भारत सरकार के 24 मार्च 1976 के आदेशानुसार रावी-ब्यास के सरप्लस पानी में भी 3.50 मिलियन एकड़ फुट हिस्सा आवंटित किया गया है।
एस.वाई.एल. मुद्दे को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है।
मुख्यमंत्री शनिवार को उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक में भाग ले रहे थे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उनकी ओर से 6 मई को लिखे गए पत्र के माध्यम से केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दूसरे दौर की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि उन्होंने एक पत्र गृहमंत्री अमित शाह को भी लिखा है।
इससे पहले इस बैठक के लिए उन्होंने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री को भी तीन अर्ध-सरकारी पत्र लिखे, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। पंजाब में नई सरकार आ चुकी है। ऐसे में केंद्र नई सरकार से बातचीत करके बैठक करके सर्वोच्च न्यायालय को भी अवगत करवाया जाए। मनोहर लाल ने कहा कि एक तरफ हरियाणा को पानी नहीं मिल रहा है और दूसरी तरफ दिल्ली हमसे अधिक पानी की मांग कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि हरियाणा को भाखड़ा मेन लाइन नहर से भी लगभग 700 से 1000 क्यूसेक पानी कम मिल रहा है। इस संबंध में भागीदार राज्यों के प्रमुख अभियंताओं और बी.बी.एम.बी. के अधिकारियों की एक कमेटी ने भी यह पाया है कि बी.एम.एल. के संपर्क बिंदु आर.डी. 390000 पर हरियाणा को पानी का कम वितरण किया गया है। इस कमेटी ने अब हैड से लेकर भागीदार राज्यों के सभी संपर्क बिंदुओं तक संपूर्ण वितरण प्रणाली के लिए गेज/डिस्चार्ज कर्व लगाने के लिए नवीनतम डिस्चार्ज मेजरमेंट तकनीकों के साथ कोई तीसरी एजेंसी नियुक्त करने का सुझाव दिया है। बी.बी.एम.बी. ने इस काम को करने के लिए केन्द्रीय जल आयोग से अनुरोध किया है। आयोग को निर्देश दिए जाएं कि वह इसे अगले दो माह के भीतर पूरा करे।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा राज्य से सदस्य (सिंचाई) का नामांकन पंजाब के सदस्य (विद्युत) की तर्ज पर पिछली परंपरा अनुसार ही जारी रखा जाए। यदि पिछले लगभग 56 वर्षों से चली आ रही प्रक्रियाओं में दखलअंदाजी होती है तो इससे विशेष रूप से सतलुज-ब्यास नदी जल बंटवारे के संदर्भ में हरियाणा के हित प्रभावित होंगे। यदि बीबीएमबी के पूर्णकालिक सदस्य सहभागी राज्यों से बाहर के होंगे, तो वे स्थानीय मुद्दों और समस्याओं को समझने में सक्षम नहीं होंगे। बोर्ड में सदस्य (सिंचाई) हरियाणा से और सदस्य (बिजली) पंजाब से नियुक्त करने के अतिरिक्त एक तीसरा सदस्य (कार्मिक) भी नियुक्त किया जा सकता है। यह तीसरा सदस्य राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से बारी-बारी से नियुक्त किया जा सकता है।