माखनलाल पत्रकारिता विवि में देखने को मिलेंगे कई नवाचार व नए प्रयोग : कुलपति प्रो केजी सुरेश
लगभग तीन दशक पहले त्रिलंगा में छोटे से भवन से शुरू हुआ माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय जल्द ही बिसनखेड़ी में अपने खुद के 50 एकड़ के भव्य परिसर में पहुंच जाएगा। 16 जनवरी से नया सेमेस्टर इसी परिसर में शुरू होगा। आधुनिक सुविधाओं से युक्त परिसर में विद्यार्थियों को मीडिया की बारीकियों के साथ ही स्वावलंबन के गुर भी सिखाए जाएंगे। नए परिसर की क्या खासियत है, बच्चों के लिए क्या नया है, अब तक का विश्वविद्यालय का सफर कैसा रहा आदि विषयों पर विवि के कुलपति केजी सुरेश से बातचीत की। पेश हैं उसके मुख्य अंश –
प्रश्र – छोटे से भवन से शुरू हुआ विवि का 31 साल का सफर अब नए मुकाम पर है। इसे आप कैसे देखते हैं?
उत्तर – ये मुकाम विवि के लिए मील का पत्थर है। त्रिलंगा से एमपी नगर पहुंचे, वहां अपना भवन तो था, लेकिन अपना बनाया हुआ नहीं था। बिसनखेड़ी का परिसर विवि ने खुद बनाया है। एमपी नगर में शहर के बीच भवन कॉर्पोरेट ऑफिस की तरह लगता था, विवि की तरह नहीं। विवि की अपनी आवासीय, सामुदायिक व्यवस्था होती है। यह परिसर पूरे देश में पीपीपी मॉडल का बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें हमने सरकार के अनुदान के बिना 160 करोड़ रुपये से यह परिसर बनाया। सरकार ने सिर्फ भूमि उपलब्ध कराई थी। मुझसे पहले छह कुलपतियों के रहते परिसर में शिफ्टिंग नहीं हो पायी। मेरे कार्यकाल में यह महत्वपूर्ण कार्य पूरा हुआ।
प्रश्र – नए परिसर मेंं क्या नया होगा?
उत्तर – नए परिसर में खेल मैदान, मेडिटेशन सेंटर, जिम, क्लब हाउस, बड़ी लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं हैं। लाइब्रेरी में एक साथ 100 से ज्यादा छात्र बैठ सकेें। यहां हर विषय की करीब 40 हजार पुस्तकें होंगी। 800 की क्षमता के विशाल ऑडिटोरियम के साथ 120-130 लोगों की क्षमता के अन्य ऑडिटोरियम भी यहां हैं। छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल भी हैं। कुलपति व कर्मचारियों के लिए आवासीय व्यवस्था भी है। नए परिसर में हमने पंडित जुगलकिशोर शुक्ल के नाम पर राष्ट्रीय मीडिया संग्रहालय बनाया है। यहां मीडिया से संबंधित काफी जानकारी छात्रों को मिलेगी। सामुदायिक रेडियो के लिए हमें लाइसेंस मिल गया है और भारत सरकार ने हमें फ्रीक्वेंसी भी आवंटित कर दी है। ‘कर्मवीर’ के नाम से यह रेडियो स्टेशन होगा। इसके यंत्रों के लिए ऑर्डर कर दिए गए हैं। यहां आपको कई नवाचार और नए प्रयोग देखने को मिलेंगे।
प्रश्र – अब तक विवि की क्या उपलब्धि रही?
उत्तर – विवि को द वीक, इंडिया टुडे जैसी पत्रिकाओं ने अपने टॉप टेन में स्थान दिया है। यह हिंदी का एकमात्र विवि है, जिसे इस सूची में जगह मिली है। इस वर्ष हमारे 30 विद्यार्थियों ने यूजीसी-नेट पास किया है। यह देश का सबसे बड़ा मीडिया विवि है। हमारे विद्यार्थियों की संख्या इस वर्ष सबसे ज्यादा एक लाख 23 हजार है। गांव-गांव में अध्ययन केंद्र खोलने व कम्प्यूटर शिक्षा को हर जगह पहुंचाने का श्रेय भी विवि के केंद्रों को है।
प्रश्र – नए परिसर में क्या कोई नए पाठ्यक्रम भी शुरू करेंगे?
उत्तर – हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार आठ नए पाठ्यक्रम शुरू कर दिए हैं। कुछ अंशकालिक पाठ्यक्रम भी चालू किए हैं। वर्तमान जरूरतों के अनुसार सोशल मीडिया प्रबंधन, ग्रामीण पत्रकारिता, मोबाइल पत्रकारिता, फिल्म पत्रकारिता जैसे पाठ्यक्रम भी हम चला रहे हैं।
प्रश्र – तकनीकी में तेजी से और लगातार परिवर्तन हो रहा है, ऐसे में शिक्षा में क्या बदलाव देखते हैं?
उत्तर – नई तकनीक के साथ नए रोजगार भी आ रहे हैं। पुराने रोजगार के हिसाब से लोगों को तैयार करेंगे, तो वे बेरोजगार ही रहेंगे। इसके लिए जरूरी है कि नई तकनीक के अनुसार ही नए पाठ्यक्रम तैयार हों। जैसे हमने मोजो (मोबाइल पत्रकारिता) या सोशल मीडिया प्रबंधन के कोर्स शुरू किए हैं। हम समय के साथ नहीं चलेंगे, तो हमारे विद्यार्थी पिछड़ जाएंगे।
प्रश्र – विद्यार्थियों को नौकरी मिल सके, इसके लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
उत्तर – विद्यार्थियों के प्लेसमेंट के लिए हमने नया विभाग बनाया है, उसे प्लेसमेंट एवं आंत्रप्रन्योरशिप विभाग नाम दिया है। कैंपस के लिए कई संस्थान आते हैं। जनसंपर्क विभाग के साथ भी काम कर रहे हैं। विद्यार्थियों को मीडिया क्षेत्र में स्वावलंबी बनाने के लिए भी सलाह दे रहे हैं, जिससे वे अपना स्टार्टअप शुरू कर सकें। हमारा प्रयास है कि वे केवल नौकरी लेने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनें। हम अगले साल से कुछ सेल्फ फायनेंसिंग कोर्स भी शुरू करेंगे।
प्रश्र – एमपी नगर के परिसर का अब क्या उपयोग होगा?
उत्तर – एमपी नगर के परिसर को भी हम उपयोग में लेंगे। यहां हमारे परीक्षा और प्रवेश विभाग रहेंगे। सायंकालीन व अंशकालीन पाठ्यक्रम की कक्षाएं भी यहां लगाएंगे। सिटी कैंपस के रूप में यह बरकरार रहेगा। इसकी एक-दो मंजिलों को किराये पर देंगे, जिससे यहां के रखरखाव का खर्च निकल सके।
प्रश्र – विवि में कभी-कभी विवाद भी हुए, उस पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर- यह सच है कि बीच-बीच में यहां विवाद हुए, जिससे विवि की छवि को नुकसान हुआ। इसके बावजूद यहां के कर्मठ कर्मचारियों और छात्रों की बदौलत विवि लगातार दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा है।
प्रश्र – नए परिसर में जाने के बाद आपके नए लक्ष्य क्या हैं?
उत्तर – भोपाल और रीवा के नए परिसरों के उद्घाटन के साथ इस वर्ष दीक्षांत समारोह आयोजित कराना मुख्य लक्ष्य है। इसके साथ ही राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) का एक्रीडिटेशन लेना भी हमारा लक्ष्य है।
प्रश्र – मीडिया के नजरिये से परिसर के बदलाव को आप कैसे देखते हैं?
उत्तर – इस बारे में सिर्फ यह कह सकता हूं कि यहां जो व्यवस्था की गई हैं, वह इस मीडिया संस्थान को और भी ऊंचाई पर ले जाएंगी। मीडिया के विद्यार्थियों के साथ-साथ मीडिया कर्मियों और मीडिया शिक्षकों के लिए भी यह परिसर तीर्थ स्थान होगा।