राष्ट्रीय

कच्छ का कायाकल्प विश्व के लिए अनुसंधान का विषय : प्रधानमंत्री मोदी

– गुजरात में निवेश रोकने की साजिशें हुईं, लेकिन राज्य ने तरक्की की नई राह को चुना

– कई लोगों ने कहा कि कच्छ 2001 के भूकंप से उबर नहीं पाएगा, लेकिन जनता ने तस्वीर बदल दी

– हम 2047 तक एक विकसित राष्ट्र होंगे

भुज/नई दिल्ली, 28 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2001 में आये विनाशकारी भूकंप के बाद कच्छ के पुनर्निर्माण के लिए गुजरात के लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा कि कच्छ का कायाकल्प पूरे विश्व के लिए अनुसंधान का विषय है।

प्रधानमंत्री मोदी गुजरात दौरे के दूसरे दिन आज भुज में करीब 4400 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

भूकंप से उबरने को लेकर व्यक्त की गई तमाम आशंकाओं और आकलनों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा कहने वाले बहुत थे कि अब कच्छ कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा। लेकिन आज कच्छ के लोगों ने यहां की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है।

प्रधानमंत्री ने उस दौरान गुजरात में निवेश रोकने की साजिशों की ओर संकेत करते हुए कहा कि एक दौर था जब गुजरात पर एक के बाद एक संकट आ रहे थे। प्राकृतिक आपदा से गुजरात निपट ही रहा था, कि साजिशों का दौर शुरु हो गया। देश और दुनिया में गुजरात को बदनाम करने के लिए, यहां निवेश को रोकने के लिए एक के बाद एक साजिशें की गईं। ऐसी स्थिति में भी एक तरफ गुजरात देश में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट बनाने वाला पहला राज्य बना। इसी एक्ट की प्रेरणा से पूरे देश के लिए भी ऐसा ही कानून बना।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मन बहुत सारी भावनाओं से भरा हुआ है। भुजियो डूंगर में स्मृतिवन मेमोरियल, अंजार में वीर बाल स्मारक का लोकार्पण कच्छ की, गुजरात की, पूरे देश की साझी वेदना का प्रतीक है। इनके निर्माण में सिर्फ पसीना ही नहीं लगा बल्कि कितने ही परिवारों के आंसुओं ने इसके ईंट-पत्थरों को सींचा है। उन्होंने कहा कि आज कच्छ के विकास से जुड़े 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के अन्य प्रोजेक्ट्स का भी शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। इनमें पानी, बिजली, सड़क और डेयरी से जुड़े प्रोजेक्ट हैं। ये गुजरात के कच्छ के विकास के लिए डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे 26 जनवरी का वो दिन याद है जब कच्छ में भूकंप आया था, तब मैं दिल्ली में था। कुछ ही घंटों में मैं दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचा और दूसरे दिन मैं कच्छ पहुंच गया था। तब मैं मुख्यमंत्री नहीं था, भाजपा का साधारण सा कार्यकर्ता था। मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे और कितने लोगों की मदद कर पाउंगा। लेकिन मैंने ये तय किया कि मैं यहां आप सबके बीच में रहूँगा। जो भी संभव होगा, मैं आपके दुख में हाथ बंटाने का प्रयास करूंगा।”

उन्होंने कहा कि कच्छ की एक विशेषता तो हमेशा से रही है, जिसकी चर्चा मैं अक्सर करता हूं। यहां रास्ते में चलते-चलते भी कोई व्यक्ति एक सपना बो जाए तो पूरा कच्छ उसको वटवृक्ष बनाने में जुट जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुश्किल भरे उन दिनों में मैंने बड़े आत्मविश्वास से कहा था कि ‘हम आपदा को अवसर में बदल के रहेंगे।’ मैंने ये भी कहा था कि आपको जो ‘रण’ दिखता है, मुझे उसमें भारत का ‘तोरण’ दिखता है। आज मैं लाल किले से कहता हूं कि 2047 को भारत ‘विकसित देश’ बनेगा।

उन्होंने कहा कि 2001 में पूरी तरह तबाह होने के बाद से कच्छ में जो काम हुए हैं, वो अकल्पनीय हैं। कच्छ में 2003 में क्रांतिगुरू श्यामजी कृष्णवर्मा यूनिवर्सिटी बनी तो वहीं 35 से भी ज्यादा नए कॉलेजों की भी स्थापना की गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आज जो ग्रीन हाउस अभियान चल रहा है, उसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है। इसी तरह जब गुजरात, दुनिया भर में ग्रीन हाउस कैपिटल के रूप में अपनी पहचान बनाएगा, तो उसमें कच्छ का बहुत बड़ा योगदान होगा। उन्होंने कहा कि आज हमारे कच्छ में क्या नहीं है। नगर निर्माण को लेकर हमारी विशेषज्ञता धौलावीरा में दिखती है। पिछले वर्ष ही धौलावीरा को वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिया गया है। धौलावीरा की एक-एक ईंट हमारे पूर्वजों के कौशल, उनके ज्ञान-विज्ञान को दर्शाती है।

उन्होंने कहा कि कच्छ का विकास, सबका प्रयास से सार्थक परिवर्तन का एक उत्तम उदाहरण है। कच्छ सिर्फ एक स्थान नहीं है, बल्कि ये एक स्पिरिट है, एक जीती-जागती भावना है। ये वो भावना है, जो हमें आज़ादी के अमृतकाल के विराट संकल्पों की सिद्धि का रास्ता दिखाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker