वाल्मीकि रामायण एक उपजीव्य काव्य : प्रो. रामसेवक दुबे
प्रयागराज, 29 सितम्बर। वाल्मीकि रामायण एक उपजीव्य काव्य है जिसमें साहित्य के साथ दार्शनिक तत्वों का मंजुल सामंजस्य है। यह बातें ‘वाल्मीकि रामायण में दार्शनिक चिन्तन‘ विषय पर मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. राम सेवक दुबे ने कही।
गुरुवार को आर्य कन्या डिग्री कॉलेज में संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यान में उन्होंने कहा ज्ञान किसी जाति-वर्ण का नहीं है, अपितु ज्ञान साधना एवं अध्ययन का विषय है। वाल्मीकि रामायण अद्वैत वेदान्त दर्शन का भी स्रोत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता शासी निकाय के अध्यक्ष पंकज जायसवाल ने एवं अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. अर्चना पाठक ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय की उप प्राचार्या डॉ. ममता गुप्ता, चीफ प्रॉक्टर डॉ. कल्पना वर्मा, डीन डॉ. अंजू श्रीवास्तव, इविवि के प्रो. अनिल प्रताप गिरि, ईसीसी के डॉ. आरूणेय मिश्र, डॉ. रंजना त्रिपाठी, डॉ. दीपशिखा इत्यादि सभी शिक्षक उपस्थित रहे। संचालन डॉ. सोनमती पटेल ने एवं आभार ज्ञापन डॉ. निशा खन्ना तथा कार्यक्रम का संयोजन डॉ. पूजा जायसवाल ने किया।