उत्तर प्रदेश

इको टूरिज्म केंद्र: रामगढ़ ताल के बाद दूसरा पर्यटक स्थल होगा कुसम्ही जंगल

– गोरखपुर-सोहगीबरवा इको टूरिस्ट सर्किट को करेगा समृद्ध

– जंगल तिकोनिया के विनोद वन में विकसित होगा केंद्र

गोरखपुर, 02 सितंबर। ‘उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म बोर्ड’ के गठन के साथ ही गोरखपुर वन प्रभाग ने कुसम्ही जंगल को इको टूरिज्म का केंद्र बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो रामगढ़ ताल के बाद कुसम्ही जंगल दूसरा वह स्थल होगा जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा।

कुसम्ही जंगल में इको टूरिज्म का केंद्र बनने से गोरखपुर-सोहगीबरवा इको टूरिस्ट सर्किट को और भी समृद्धि मिलेगी। ड्राईरन के बाद ठण्डे पड़े गोरखपुर-सोहगीबरवा इको टूरिस्ट सर्किट पर पयर्टकों को आकर्षित करने की योजनाओं को भी गति मिलने की राह आसान हो जाएगी।

समुद्र तल से 84 मीटर ऊंचाई पर स्थित कुसम्ही जंगल के तिकोनिया जंगल में शहर की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, स्वरोजगार के साधन जुटाने, पर्यावरण एवं वनसंपदा के संरक्षण, सामाजिक जुड़ाव एवं ग्रामीण विकास के लक्ष्य के साथ गोरखपुर वन प्रभाग इको टूरिज्म सेंटर का निर्माण कर रहा है। डीएफओ विकास यादव के मुताबिक विनोद वन और उसके आसपास शहर की बाऊंड्री से सटे शहरवासियों एवं पयर्टकों को नेचर कैम्पिंग, बर्ड वॉचिंग एवं वॉच टॉवर, एडवेंचर एक्टिविटी, आरोग्य इको टूरिज्म सेंटर, नेचर इंटरपटेशन सेंटर, नेचर ट्रेल एवं हाथी, घोड़ा, ऊंट एवं खुली जीप से सैर की सुविधा उपलब्ध कराया जाएगा। इन सुविधाओं के बदले में पयर्टकों को शुल्क चुकाना होगा, ताकि इको टूरिज्म सेंटर का रखरखाव हो सके।

इधर, वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल कहती हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं की यह परियोजना रामगढ़झील के बाद गोरखपुर की दूसरी सबसे लोकप्रिय परियोजना एवं पसंदीदा स्थल बनेगा। यहां आने वाले पर्यटक खुद को प्रकृति और उसकी संपदा से जोड़ पाएंगे। नेचर कैम्पिंग के अंतर्गत पर्यटकों को प्लेटफार्म एवं टायलेट की सुविधा से युक्त स्विस टैंट उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अंतर्गत ट्री हाउस, सोलर लाइट, किचन और पीने के पानी की सुविधा भी उपलब्ध होगी। एक समय में नेचर कैम्पिंग में आठ पयर्टकों को ठहरने का इंतजाम होगा। यहां पयर्टक जलवायु परिवर्तन के बाद को न केवल नजदीक से महसूस कर सकेंगे, बल्कि खुद को प्रकृति से जोड़ सकेंगे। बर्ड वॉचिंग के लिए माता चौरा मंदिर एवं बुढ़िया माता मंदिर के निकट वॉच टॉवर बनेंगे। यहां से पयर्टक बर्ड वाचिंग कर सकेंगे। पयर्टकों को पक्षियों के करीब तक पहुंचाने के लिए व्हीकल की सुविधा मिलेगी। बांस के निर्मित टिकट शॉप भी निर्मित किए जाएंगे, जहां से कैमरा, दूरबीन, रेंज फाइंडर और कम्पास की सुविधा भी मिलेगी।

मनोरंजन के साथ रोमांच

यहां पयर्टकों को एडवेंटर स्पोर्ट्स से भी जोड़ा जाएगा। सुरक्षित परिवेश एवं ट्रेनर की मदद के साथ बर्मा ब्रिज, काम्बिंग, रोप वे क्रासिंग समेत कई तरह की एडवेंचर गतिविधियों से इन्हें जोड़ा जाएगा। इससे न केवल पयर्टकों का मानसिक तनाव कम होगा, बल्कि उनके आत्म-विश्वास में बढ़ोत्तरी, मानसिक एवं शारीरिक मजबूती का भी एहसास होगा। आरोग्य इको टूरिज्म सेंटर में प्रशिक्षित योग शिक्षक योगा कॉटेज में योगाभ्यास कराएंगे। यहां आयुर्वेदिक पौधों एवं आरोग्य वन से अवगत कराया जाएगा।

प्रकृति ज्ञान के साथ आनंद की अनूभति भी

इस केंद्र में नेचर इंटरपटेशन सेंटर का निर्माण होगा। इसमें गोरखपुर के इतिहास, वन आवरण, वन संपदा, इको टूरिज्म स्पॉट, वन विभाग एवं प्राणी उद्यान की उपलब्धियां, फॉरेस्ट पॉलिसी आदि प्रदर्शित होगी। इसके अतिरिक्त दो रूट पर नेचर ट्रेल की सुविधा मिलेगी जहां साइकिल या पैदल सुरक्षा उपकरणों के साथ पयर्टक 03 किलोमीटर एवं 06 किलोमीटर लम्बे रूट पर नेचर ट्रेल कर सकेंगे। इन रूट से गुजरने वाले पर्यटकों के लिए उनकी मंशा के मुताबिक हाथी, घोड़ा, ऊंट की सवारी कर सैर का आनंद भी उठाने का मौका होगा। खुली जीप में सैर का आनंद उठा सकेंगे।

गोरखपुर वन प्रभाग में इको टूरिज्म से जुड़े स्थल

गोरखनाथ मंदिर, शहीद अशफाक उल्ला खॉ प्राणी उद्यान, रामगढ़ झील, विनोद वन, बुढ़िया माता मंदिर, तरकुलहा माता मंदिर, गीता प्रेस एवं गीता गार्डेन, परगापुर ताल, लेहड़ा देवी मंदिर, सोनाड़ी देवी मंदिर, निचलौल, सोहगीबरवा, दर्जिनिया ताल, टेलफाल, मधवलिया वन विश्राम गृह।

20 स्तनधारी वन्यजीव

विनोद वन एवं उसके आसपास के जंगल में जैकाल, बैट, भेड़िया, चितल, जंगली सुअर, साही, खरगोश, स्ट्रीप्टड हाइना, लोमड़ी, लैपर्ड, हनुमान मंकी, रीसस मकॉक, जंगली बिल्ली, जंगली कुत्ते समेत 20 के करीब स्तनधारी वन्यजीव हैं।

60 प्रजाति के वृक्ष

विनोद वन एवं उसके आसपास के क्षेत्र में इमली, कचनार, कटहल, आम, अमरूद, सागौन, साल, अर्जुन, अंजीर, अमलतास, आंवला, कदंब, बरगद, जामुन, मदार, नीम, पलास, पीपल, बबूल, महुआ, शीशम, बेल, चिरौजी, पाकड़, गुलर, गुटेल, बड़हल, पनियाला, चितवन समेत 60 प्रजाति के पेक्ष संरक्षित हैं।

08 प्रजाति के सरीसृप

विनोद वन एवं उसके आसपास गोह, गिरगिट, छिपकली, पायथन, कोबरा, रैन स्नेक, करैत, रसल वाइपर रैपटाइल बहुतायत में पाए जाते हैं।

47 प्रजातियों के पक्षी भी

इस हरे भरे वन क्षेत्र में स्टॉक बिल्ड किंगफिशर, कोयल, ग्रीन बी इटर, जंगली उल्लू, जकाना, हुदहुद, तोता, ग्रे हार्नबिल, बटर, सीही, मोर, गिद्ध, कठफोड़वा, बगुला, बसंता, धनेश, सारस, कबूतर, जंगली मुर्गी समेत 47 प्रजाति के पक्षी चिन्हित किए गए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker