भागवत कथा में तपोभूमि चित्रकूट के नैसर्गिक सौंदर्य को बचाने की होगी चर्चा: नवलेश दीक्षित
चित्रकूट, 17 दिसम्बर। भागवत कथा व्यास नवलेश दीक्षित ने कहा कि विश्व के कल्याण का एक मात्र माध्यम श्रीमद्भागवत है। सनातन धर्म से जुडे लोग मंदाकिनी नदी व कामदगिरि पर्वत का संरक्षण करें। प्रवचन के जरिए जल संचय की भावना जन-जन तक पहुंचाना मुख्य उद्देश्य होगा। चित्रकूट के प्राकृतिक सौंदर्य को नष्ट न कर गौवंशों का संरक्षण किया जाये।
शनिवार को भागवत कथा व्यास नवलेश दीक्षित पत्रकारों से श्रीजी होटल में रुबरु हुए। उन्होंने कहा कि 18 दिसम्बर से शुरु हो रही श्रीमद्भागवत अष्टोत्तर शत आयोजन विश्व कल्याण का एक मात्र माध्यम श्रीमद्भागवत है। हर समस्या का समाधान इसमे है। यह व्यक्ति को जीवन जीने का सही तरीका बताती है। श्रीमद् अष्टोत्तर शत का आयोजन चित्रकूट की धरती पर तीसरी बार हो रहा है।
आयोजन की रूपरेखा बताते हुए कहा कि रविवार को सवेरे आठ बजे से श्रीकामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर स्थित बरहा हनुमान जी से विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें भाग लेने को देश भर से श्रद्धालु आ चुके हैं। यह शोभायात्रा भगवान कामदगिरि का परिक्रमा कर जगनिवास पहुंचेगी। यहां पर श्रीरामार्चा जी का पूजन किया जाएगा। इसी दिन दोपहर के समय श्रीमद्भागवत जी को श्रीजी होटल लाया जाएगा और मुख्य भागवत पीठ के साथ ही समस्त 108 वेदियों का पूजन होगा। सोमवार से प्रतिदिन एक बजे से श्रीमद्भागवत की तात्विक मीमांशा की जाएगी।
कथा में इस बार चित्रकूट धाम के नैसर्गिक सौंदर्य और मंदाकिनी की शुचिता संबंधित मुद्दों को भी उठाया जायेगा। विश्व शांति के लिए यह आयोजन हो रहा है।
कार्यक्रम को सफल बनाने का काम कानपुर के ज्योर्तिविद व कर्मकांडाचार्य गौरव शुक्ल, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में संगीत विभागाध्यक्ष राजा पांडेय, कर्मकांडाचार्य विनोद शुक्ल, वृन्दावन से मूल पाठ करने के लिए चंद्रिका प्रसाद, अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित का योगदान रहेगा। इस दौरान आयोजन समिति के राजीव अग्रवाल, अजय अग्रवाल, स्वप्निल अग्रवाल आदि मौजूद रहे।